छोडिये क्या पढना, रेप ही तो है ||
नमस्कार, कुछ दिन पूर्व ही महाराष्ट्र में सरकार की
नौटंकी खत्म हुई ही थी की देश को एक बड़ा सदमा सा लगा। हालांकि इस सदमे से हमारे
देश वासी काफी वाकिफ भी हैं और आदि भी। सदमा है तेलंगाना में एक 27 वर्षीय युवती के साथ दुष्कर्म करके उसे ज़िंदा जला देना। ये मुद्दा कही
न कही छिप ही जाता जैसे प्रतिदिन लगभग 100 दुष्कर्म छिप
जाते हैं पर इस दफा मुद्दा संगीन और मानवता को दहला देने वाला था ।
जब तक किसी महिला का दुष्कर्म न हो जाये हम शांत रहते है, ऐसा होते ही हमारे अंदर का सारा गुस्सा अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है, हम फेसबुक, व्हाट्सएप हर सोशल मीडिया पे लिखने और शेयर करने लगते हैं। पर समझ नही पाते कि इन सोशल मीडिया के माध्यम से हमलोग रानू मोंडल को वायरल कर सकते है पर देश सख्त कानून को लाने का बात को वायरल नहीं कर पाते हैं |
जब तक किसी महिला का दुष्कर्म न हो जाये हम शांत रहते है, ऐसा होते ही हमारे अंदर का सारा गुस्सा अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है, हम फेसबुक, व्हाट्सएप हर सोशल मीडिया पे लिखने और शेयर करने लगते हैं। पर समझ नही पाते कि इन सोशल मीडिया के माध्यम से हमलोग रानू मोंडल को वायरल कर सकते है पर देश सख्त कानून को लाने का बात को वायरल नहीं कर पाते हैं |
आये दिन बलात्कार होते रहते हैं हम या तो सोशल मीडिया पर
लिखकर या कैंडल मार्च निकल कर शांत हो जाते हैं | हमारे देश की जनता के पास इतना
समय नहीं होता कि वो इस बात पर बहस कर सके जिससे हमारे देश में होने वाले बलात्कार
का कोई हल निकल सके या देश में महिलाओं और लड़कियों में कब तक इस बात का डर रहेगा कि
वो १० बजे के बाद घर से बहार नहीं निकल सकती, या किसी अनजान लड़के से मदद नहीं ले
सकते |
बात सिर्फ प्रियंका रेड्डी की नहीं है, बात है उन लड़कियों की
जो हमारे देश में रोज़ कही न कही आती जाती रहती हैं, ये प्रियंका रेड्डी नहीं ये
कोई भी निर्भया हो सकती है, किसी मेट्रो में, किसी लोकल में, कही सडक पे अपनी गाड़ी
चलते हुए, किसी सुनसान रास्ते पे असहाय सी, हमे ये समझना होगा की वो लड़की है उसे
हम असहाय बना रहे हैं | वो अकेलापन दे रहे हैं जिससे वो रात में उस मेट्रो, लोकल
या सडक से सफर करने से कतरा रही है | यही भारतवर्ष है जहाँ झाँसी की रानी ने जन्म
लिया और अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था, पर हवस, वासना, और अपनी छह को पूरा
करने में इतने मश्हूल हैं जिसमे हम भूल जाते हैं की वो एक लड़की है | भाईसाहब, वो
एक लड़की है जिसका मतलब है वह अगर अकेली है तो वो आपकी ज़िम्मेदारी है, न की आज़ादी |
एक अकेली लड़की किसी के बाप की जागीर नहीं होती है, अकेली लड़की
को लड़की नहीं समझना चाहिए अरे अकेली तो झाँसी की रानी थी, अकेली तो वो काली थी
अकेली तो दुर्गा भी थी और अकेली तो फूलन चम्बल वाली थी, बस फर्क इतना था कि वो हार
न मानने वाली थी | हम दुष्कर्म के इतने आदि हो चुके हैं कि हमे फर्क पड़ना ही बंद
हो गया है | कोई खबर आई बलात्कार की तो बस यह ख देते हैं कि अरे ये तो रोज़ का है |
भई वो रोज़ का क्यों हैं, क्योंकि हमने बनाया है | हमारे अन्दर इतनी ताक़त नहीं है कि
हम इस हवसी पन को अपने इस देश से खत्म कर सके | ये तब तक नहीं समझा जायेगा जब तक
किसी के परिवार के साथ ना हो| और खुदा न खस्ता ऐसा हो |
अंत में सवाल यही बन के आ जाता है कि आखिर क्या हो और कैसे
हो | क्योंकि हमारे पास समय है इस बात पे चर्चा करने का कि अगली सरकार किसकी आएगी,
हमारे पास समय है ये सोचने का या ये कहने का कि हिन्दू बड़े हैं या मुस्लिम | खैर
छोडिये, हिन्दू मुस्लिम ही तो कारण हैं जिससे हमारी सरकार का फैसला होता है |
क्या हम सोशल मीडिया पर आंसू बहाने के बजाये मुहीम नहीं चला
सकते?? क्या हम देश में अपनी सर्वोच्च न्यायालय को पर सख्त कानून लाने का दबाव
नहीं दाल सकते??
सच्चाई ये है की हम ला सकते हैं क्योंकि जब हम हिन्दुस्तानी
भाऊ, धिन्चैक पूजा और रानू मोंडल को बड़े परदे पे भेज सकते हैं तो लड़कियों की सुरक्षा
को देश का मुद्दा क्यों नहीं बना सकते |
बात सिर्फ लड़कियों की ही क्यों होती है जब हमारे देश में एक
और समुदाय है लड़कों का जिसे हम अनदेखा और अनसुना करते हैं हालाँकि उन्हें अभी किनारे
रखा जाये तो बेहतर होगा क्योंकि वो तो ताक़तवर होते हैं |
खत्म करो ये रोना
गाना,
अब समय है कुछ करके
दिखाना,
अस्त हो रहा झाँसी
का सूरज,
दुर्गा और काली का
अवतार है लाना |
||धन्यवाद्||
प्रियंका रेड्डी की आत्मा को भगवन शांति दे |
2 Comments
Ati uttam ...
ReplyDeleteBilkul Shi kaha aapne, hamare pass samay hai faaltu muddon pr behes krne ka pr rape jaese mudde jinn pr Beth k charcha aur sakht kadam uthaane ki aavshyakta h unn pr Hamara dhyaan hi nhi. Balaatkar hote rhenge jb tkk sakhti nhi hogi.
ReplyDeleteEk sawal Mera hai ki hum aawaz tbhi Kyu uthaate hai jb kisi ldki ka rape case bohot bda mudda bnn jata hai usk baad log aawaz Kyu nhi uthate. Rape to iss desh m Roz hi hote h. Hume zaroorat hai rapes k khilaaf lagataar aur lambe samay tkk ladne ki.
Bohot shi baatein likhi h aapne Avi naman ji. M aapki baaton se sehmat hu.